RAKHI Saroj

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लेखनी प्रतियोगिता -27-Feb-2023

बेरुखी 



बेरुखी मेरे जीवन में उतरने लगीं
उसके लवों से ज्यादा अब उसके 
दिल के रंगों में इश्क से ज्यादा
बेरुखी का एहसास दिखने लगा
कैसे कहें जब कृष्ण राधा से 
ज्यादा रूक्मणी के होने लगें
तब बेरुखी हमारे दिल खो खोजने लगीं
अब सीता की थी परीक्षा से ज्यादा
राम के निकलें शब्द लवों को चुबने लगें हैं
तब बेरुखी का आंचल मेरे दामन को 
नोचने लगा तब खीले फुलों में भी 
कांटे चुभने लगें।

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12 Comments

Renu

28-Feb-2023 05:45 PM

👍👍🌺

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RAKHI Saroj

28-Feb-2023 09:33 PM

Thank you

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Babita patel

28-Feb-2023 01:09 PM

nice

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RAKHI Saroj

28-Feb-2023 09:32 PM

Thank you

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Ajay Tiwari

28-Feb-2023 09:32 AM

Very nice

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RAKHI Saroj

28-Feb-2023 09:32 PM

Thank you

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